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सफलता की प्रेरणादायक कहानियाँ | Motivational Stories in Hindi for Success

बहुत समय पहले एक गाँव में एक मेहनती किसान रहता था। वह अपनी जमीन पर विभिन्न प्रकार के पौधे उगाने के लिए जाना जाता था। एक दिन उसने बाँस और फर्न के बीज बोने का निश्चय किया। किसान ने अपने खेत को अच्छी तरह से तैयार किया और दोनों बीजों को समान ध्यान और पानी देना शुरू किया। कुछ दिनों बाद, फर्न का पौधा तेजी से उगने लगा और हरे-भरे पत्तों से खेत को ढक दिया। लेकिन बाँस के बीज से कुछ भी नहीं निकला।

किसान निराश नहीं हुआ। उसने फर्न की तरह ही बाँस के पौधे का भी ध्यान रखना जारी रखा। पहले वर्ष में कोई बदलाव नहीं हुआ। दूसरे वर्ष भी बाँस के बीज से कोई अंकुर नहीं निकला। किसान ने धैर्य बनाए रखा। तीन और चार साल बीत गए, लेकिन फिर भी बाँस के बीज से कुछ नहीं निकला। कई लोग किसान का मजाक उड़ाते और कहते, “तुम बेकार में समय बर्बाद कर रहे हो। यह बीज खराब है।”

लेकिन किसान को अपने प्रयासों और बीज पर भरोसा था। पाँचवें साल के अंत में, किसान ने देखा कि जमीन से एक छोटा सा बाँस का पौधा निकल रहा है। अगले कुछ हफ्तों में, वह पौधा तेजी से बढ़ने लगा और देखते ही देखते कुछ ही महीनों में कई फीट ऊँचा हो गया। किसान खुश हो गया और समझ गया कि पाँच साल तक बाँस के पौधे ने अपनी जड़ों को मजबूत करने में समय लगाया था। ये जड़ें ही उसकी ऊँचाई का आधार थीं।

सीख:
इस कहानी से हमें यह समझने को मिलता है कि सफलता कभी-कभी समय लेती है। हमारे द्वारा की गई मेहनत और प्रयास तुरंत दिखाई नहीं देते, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे बेकार हैं। जीवन में अगर आप धैर्य रखते हैं और लगातार मेहनत करते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है। जिस तरह बाँस ने पाँच साल तक जड़ें मजबूत कीं, उसी तरह हमें भी अपनी नींव को मजबूत करना होता है। जब समय आएगा, तब सफलता खुद-ब-खुद दिखेगी।

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