हार मत मानो – एक साधारण आदमी की असाधारण प्रेरणादायक कहानी
एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था – नाम था अर्जुन। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा, लेकिन उसके हालात हमेशा उसके सपनों के रास्ते में दीवार बनकर खड़े हो जाते थे। पिता किसान थे और मां गृहिणी। घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि कई बार रात को भूखे पेट सोना पड़ता था।
अर्जुन पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन पैसों की तंगी के कारण 10वीं के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। गांव के लोग कहते – “तेरे जैसे लड़के शहर जाकर क्या कर लेंगे? मेहनत करने से कुछ नहीं होता, किस्मत चाहिए किस्मत।” लेकिन अर्जुन की आंखों में एक अलग ही चमक थी। वह मानता था कि मेहनत से किस्मत बदली जा सकती है।
एक दिन उसने अपने पिता से कहा – “बाबा, मैं शहर जाना चाहता हूं। कोई छोटा-मोटा काम करूंगा और अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करूंगा।” पिता ने थोड़े पैसे और एक पुराना बैग दिया। मां ने आशीर्वाद दिया और अर्जुन निकल पड़ा अपने सपनों की ओर।
शहर में जिंदगी आसान नहीं थी। पहले कुछ दिन स्टेशन पर सोया, पानी के पाइप से नहाया, और मंदिर में मिलने वाले प्रसाद से भूख मिटाई। दिन में होटल में बर्तन धोने का काम मिला। हर दिन 14 घंटे काम करता, लेकिन मन में उम्मीद थी – “यह शुरुआत है, मंज़िल अभी बाकी है।”
होटल मालिक का एक बेटा था, रोहित, जो रोज़ कंप्यूटर पर काम करता। अर्जुन को बहुत उत्सुकता होती कि यह मशीन कैसे काम करती है। एक दिन साहस करके अर्जुन ने पूछा – “भैया, मुझे भी सिखा देंगे क्या?” रोहित ने पहले तो हँसकर टाल दिया, लेकिन अर्जुन का उत्साह देखकर उसने कहा – “ठीक है, जब काम से फुर्सत मिले तो आ जाया करना।”
रात को बर्तन धोने के बाद अर्जुन रोहित से कंप्यूटर सीखता। धीरे-धीरे उसे टाइपिंग, एक्सेल, और इंटरनेट चलाना आ गया। एक दिन होटल में एक ग्राहक आया जिसे एक असिस्टेंट की जरूरत थी – ऐसा व्यक्ति जो कंप्यूटर जानता हो और मेहनती हो। होटल मालिक ने अर्जुन की सिफारिश कर दी।
अर्जुन ने इंटरव्यू दिया और उसे वह नौकरी मिल गई। शुरुआत में काम छोटा था – फाइलें व्यवस्थित करना, ईमेल भेजना, लेकिन अर्जुन ने हर काम में मेहनत दिखाई। कुछ ही महीनों में वह कंपनी के लिए एक जरूरी सदस्य बन गया।
वक्त बीतता गया। अर्जुन ने रात में ऑनलाइन कोर्स किए, मार्केटिंग और डिजिटल मीडिया सीखा। अपनी बचत से एक पुराना लैपटॉप खरीदा और पार्ट-टाइम फ्रीलांस प्रोजेक्ट्स लेने लगा। दो साल बाद उसने नौकरी छोड़ दी और अपनी डिजिटल मार्केटिंग कंपनी शुरू की – नाम रखा “Mission Arjun”।
शुरुआत में ग्राहक नहीं मिले। कई दिन सिर्फ एक कप चाय पीकर बिताने पड़े। लेकिन अर्जुन ने हार नहीं मानी। गांव के लोग याद आते थे – जो कहते थे कि ये सब तेरे बस का नहीं। लेकिन अर्जुन ने अपने भीतर की आवाज़ सुनी – “हार मान ली तो सब खत्म, लड़ता रह तो कुछ भी हो सकता है।”
धीरे-धीरे कुछ छोटे ग्राहक मिले। अर्जुन ने मेहनत और ईमानदारी से काम किया। एक साल के भीतर उसकी कंपनी ने 10 लाख का टर्नओवर पार कर लिया। आज अर्जुन की कंपनी में 25 लोग काम करते हैं। वह हर साल अपने गांव जाता है – बच्चों को किताबें और लैपटॉप दान करता है।
एक इंटरव्यू में जब अर्जुन से पूछा गया – “तुमने यह सब कैसे किया?”
तो अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा –
“मैंने कभी हार नहीं मानी। मैं साधारण था, लेकिन मेरा सपना असाधारण था। और जब सपने में सच्चाई हो, तो मेहनत करने का जूनून खुद-ब-खुद आ जाता है।”
सीख इस कहानी से: कभी भी हालात से हार मत मानो।
तुम्हारे पास भले ही संसाधन न हों, लेकिन अगर सीखने की इच्छा है, तो रास्ता खुद बन जाता है।
दूसरों की राय तुम्हारी हकीकत नहीं है। अगर तुम खुद पर विश्वास रखते हो, तो कोई भी तुम्हें रोक नहीं सकता।
दोस्तों, याद रखिए – हार मान लेना सबसे आसान होता है। लेकिन जो गिरकर भी उठता है, वही एक दिन सबसे ऊंचा उड़ता है। इसलिए, चाहे हालात जैसे भी हों, खुद पर विश्वास रखो और चलते रहो।